कलराज मिश्र: निमित्त मात्र हूॅ मैं

यह पुस्तक श्री मिश्र के बहुआयामी व्यक्तित्व तथा कार्यों की झलक के साथ एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर राजभवन तक की उनकी यात्रा का सुरुचिपूर्ण संकलन है।…उनका व्यक्तित्व ज्ञान, कर्मठता और मर्यादा का सुन्दर समन्वय है। उन्होंने सदैव राष्ट्रवादी विचारधारा का अनुसरण कर समाज के सम्मुख एक आदर्श प्रस्तुत किया है। उनकी संवेदनशीलता तथा उनके सहज व्यवहार ने उन्हें अत्यंत लोकप्रिय एवं आदरणीय बनाया है।

राम नाथ कोविन्द, राष्ट्रपति, भारत गणतंत्र।

शालीनता के साथ सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले कलराज मिश्र एक कर्मठ नेता हैं। ये राजनीति के मर्मज्ञ हैं।…बड़ा नेता क्या होता है और कैसा होता है, यह कलराजजी से सीखा। जब वे युवा मोर्चा का काम देखते समय गुजरात के प्रवास पर आए। उस समय मैं बहुत छोटा था और अक्सर उनके पास घंटों रहता था तब मैंने इनका बड़प्पन देखा। ऐसे लोगों को साथ काम करते और उन लोगों को देखते हुए मैं राजनीति में आया। इन लोगों ने मुझे बड़ा बनाया।

नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत गणतंत्र।

पुस्तक का मैंने अद्योपांत अध्ययन किया। उनके छः दशक से भी अधिक समय के राजनैतिक तथा सार्वजनिक जीवन को एक पुस्तक के रूप में लिपिबद्ध करना अत्यंत ही कठिन कार्य है। लेखकगण ने उनके व्यक्तित्व के सभी रंगों को इस पुस्तक में भलीभांति संजोया है। इस पुस्तक ने अनायास ही मेरे जीवन के नवपरिणीता से लेकर राजभवन, राजस्थान पहुंचने तक के समय को कुछ ही पलों मेरे मानस पटल पर प्रकट कर दिया है।…सब कुछ मेरे सम्मुख जीवंत रूप में प्रकट हो गया है।

सत्यवती मिश्र, कलराज मिश्र की धर्मपत्नी।

यह जीवनी एक अनमोल दस्तावेज है। कृति शोध पूर्ण होने के साथ-साथ भी अत्यन्त रोचक है। यह विद्वानों व लेखकों को बताती है कि प्रामाणिक तथा शोधपरक कृतियां भी आम पाठकों के लिए आकर्षक व रुचिप्रद हो सकती हैं। लेखकगण ने गहन अध्ययन के आधार पर श्री कलराज मिश्र की देश को दी गई बहुमूल्य सेवाओं पर बड़ी ही रोचक शैली में प्रकाश डाला है। पुस्तक पर हिन्दी साहित्य जगत गर्व कर सकता है, यह सराहनीय व अनुकरणीय है।

रमेश पोखरियाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, भारत गणतंत्र।

राजस्थान के माननीय राज्यपाल श्री कलराज मिश्र पर प्रकाशित शोधात्मक एवं सचित्र जीवनी। यह एक शानदार कृति है।

डॉ मनमोहन सिंह, भूतपूर्व प्रधानमंत्री, भारत गणतंत्र।

आईआईएमई, जयपुर द्वारा शोध परियोजनाओं के तहत कई दुर्लभ, संग्रहणीय, शोधपूर्ण तथा पुरस्कृत, सचित्र पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त है। अपनी इसी परंपरा को जारी रखते हुए संस्था ने कलराज मिश्र जी पर बहुत ही आकर्षक पुस्तक तैयार की है। जिसके रंगीन, सजीव चित्र पाठक को बरबस ही अपनी ओर खींचते हैं। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री कलराज मिश्र, मृदुभाषी और सहिष्णुता के पर्याय हैं। प्रकाशन हमारी पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच बौद्धिक एवं सांस्कृतिक वैचारिक आदान-प्रदान में एक सेतु का कार्य करेगा।

डॉ राजीव कुमार, उपाध्यक्ष, नीति आयोग, नई दिल्ली।

आपने कठोर परिश्रम द्वारा माननीय कलराज मिश्र जी की जीवनी को जीवंत रूप प्रदान कर दिया। उनके लिए इससे उत्तम उपहार नहीं हो सकता था। इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जो चीज बरबस हृदय को आकर्षित करती है वह है इसकी शानदार तस्वीरें और चित्र-सज्जा, जो राजस्थान राज्य के लिए भी एक उपहार है। मैं आपकी और आपके सह-लेखक की भी उल्लेखनीय रूप से उत्कृष्ट उत्पादन गुणवत्ता वाली इस कृति की रचना के लिए सराहना करना चाहता हूँ।

बिबेक देबरॉय, अध्यक्ष, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद व सदस्य नीति आयोग, नई दिल्ली।

यह पुस्तक राजनीति और समाजसेवा से जुड़े जाने-माने व्यक्ति के अनुभवों और कार्यों से पाठकों को परिचित कराती है। आपने जिन तथ्यों को प्रस्तुत किया है वह श्री कलराज मिश्रजी के आदर्श, उनकी विचारधारा और प्रतिबद्धताओं से पाठकों का साक्षात्कार करवाते हैं। यह एक संग्रहणीय, शोधपरक ग्रन्थ है जो कलराजजी की समाज व देश के प्रति समर्पण भाव को प्रभावी रूप से प्रस्तुत करता है। ऐसे ग्रन्थ नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक बने रहेंगे।

प्रो धीरेन्द्र पाल सिंह, अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली।

श्री कलराज मिश्रजी पर लिखी गई यह किताब बहुत श्रेष्ठ और आकर्षक है। मैंने पहला पन्ना पलटा और पलटता चला गया। उनके कार्य, सफलताएं और राजनीतिक जीवन सभी कुछ गागर में सागर की तरह समेटा गया है। फोटो की गुणवत्ता तथा संयोजन भी बहुत अच्छा और आकर्षक लगा।

नवनीत गुर्जर, राष्ट्रीय संपादक, दैनिक भास्कर।

कलराज मिश्र जी के पूर्वजों की मिट्टी, जिस क्षेत्र से संबंधित हैं, उनके जीवन के विविध आयामों को लेखकगण ने ‘गीता’ में ‘कर्म’ के सिद्धांत पर चलते हुए अपना मार्ग प्रशस्त किया तथा उनकी व्यावहारिक-आर्थिक सोच भी अत्यंत प्रेरक लगी। पुस्तक की प्रस्तुतीकरण शैली, प्रकाशन की सामग्री और समग्र गुणवत्ता वास्तव में अत्यंत उच्च स्तर की है।

प्रो वी. के. मल्होत्रा, सदस्य सचिव, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली।

अनवरत जागरूक सक्रियता का नाम है-श्री कलराज मिश्र। अध्ययन काल से लेकर अब तक वे सच्चे एवं सचेत समाजसेवी की भूमिका में हैं।…विश्वविद्यालयों को अकादमिक रूप से समृद्ध और अनुशासित बनाने की दिशा में आपकी सक्रियता को अनुभव किया जा रहा है। भारत का विश्वगुरु के पद पर पुनः प्रतिष्ठित होते देखने की आकांक्षा आपके व्यक्तित्व को विरल बनाती है।…बहुत श्रम के साथ इस पुस्तक का लेखन किया गया है।

प्रो नन्द किशोर पाण्डेय, निदेशक, भारतीय हिंदी परिषद, इलाहाबाद ।